Wednesday 20 July 2011

धुएं में उड़ाने के लिए नहीं है जिंदगी

दूसरे नशे सिर्फ उसी व्यक्ति के स्वास्थ्य पर असर डालते हैं, जो उनका सेवन करता है, लेकिन धूम्रपान ऐसा नशा है जो सिर्फ पीने वाले को नहीं उसके आसपास रहने वालों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। धूम्रपान की जागरूकता का असर हमारे युवाओं में धीरे-धीरे दिखने लगा है। अब युवाओं को ऐसे हमसफर की तलाश है, जो सिगरेट का सेवन ना करता हो। अभी हाल ही में एक कंपनी ने धूम्रपान पर कुछ आंकड़े इकट्ठे किए, जिससे यह बात सामने आई है कि आज के युवा धूम्रपान के दुष्प्रभावों की पूरी तरह से जानकारी रखते हैं। इसलिए वो ऐसा लाइफ-पार्टनर चाहते हैं, जो हर तरह के धूम्रपान से दूर रहता हो।
यानी अब शादी के बायोडाटा में कद, रंग-रूप, शैक्षिक योग्यताओं और खानदान के उल्लेख के साथ ‘एक नॉन स्मोंकिंग लाइफ पार्टनर’ को भी प्रमुखता दी जा रही है। यदि आप खुद धूम्रपान नहीं कर रह हैं, तो भी उसके दुष्प्रभावों से पूरी तरह बचे नहीं हैं। कंपनी के सर्वे के अनुसार, हमारे आसपास मौज़ूद धूम्रपान करने वाले लोगों के कारण प्रतिवर्ष 6 लाख लोग बीमारियों की चपेट में आते हैं। इंटरनेट पर वैवाहिक विज्ञापन देने वाली शादी डॉट काम के नाम की संस्था ने इस संदर्भ में कुछ महानगरों में सर्वेक्षण कराया। सर्वे से यह भी पता चलता है कि विश्व भर में धूम्रपान करने वालों में १० प्रतिशत लोग भारत में रहते हैं। यह संख्या लड़कियों की तुलना में लड़कों में ज्यादा है। ऐसे में सबसे ज्यादा कुप्रभाव पड़ता है, धूम्रपान करने वाले की पत्नी और उसके बाद साथ रह रहे परिजनों पर।
पैसिव स्मोकिंग ः विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पैसिव स्मोकिंग (धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के संपर्क में रहने से) लगभग चालीस हजार लोग प्रति-वर्ष मौत के मुंह में समा जाते हैं। सर्वे के अनुसार पैसिव स्मोकिंग से लगभग 379000 लोग हृदय रोगों से,1,65000 लोग श्वसन संबंधी बीमारियों से 36,900 लोग अस्थमा से और 21,400 लोग फेफड़े के कैंसर का शिकार हो जाते हैं। जिन बच्चों के मां-बाप या कोई करीबी परिजन स्मोकिंग के आदी होते हैं, उनमें निमोनिया, अस्थमा और फेफड़ों का विकास धीमी गति से होने की संभावनाएं ज्यादा बनी रहती हैं। सरकार धूम्रपान रोकने के लिए जागरूकता अभियान चला तो रही है, मगर दूसरी ओर सिगरेट, तंबाकू, पान-मसाला बनाने वाली कंपनियों को कुछ नहीं कहती, बल्कि उन्हें घाटा ना हो इसका भी ध्यान रखती है। आखिर क्यों ना हो, इससे सरकारी खजाने में भारी मुनाफा जो होता है। अतः इस दिशा में खुद ही जागरूक होना पड़ेगा, ताकि धूम्रपान की लत से छुटकारा मिल सके।
तंबाकू के कुछ तथ्य
-सिगरेट का कश आपके जीन में पहुंचकर आपको कई रोगों का शिकार बना सकता है। अमेरिकन केमिकल सोसायटी की ओर से निकलने वाली पत्रिका में प्रकाशित तथ्य के अनुसार-धूम्रपान का जीन (डी.एन.ए.) पर इतना तेजी से असर होता है, जैसे सीधा आपके खून में डाला गया हो।
-फेफडों के कैंसर का 90 प्रतिशत कारण धूम्रपान होता है। इसके धुएं में 40 से अधिक ऐसे तत्व होते हैं, जो फेफडों की कोशिकाओं को बुरी तरह से क्षतिग्रस्त करता है। लंबे समय तक धूम्रपान करने के बाद छोड़ देने के पश्चात् भी इसका खतरा कम जरूर हो जाता है, पर खत्म नहीं होता।
-भारत की 27 प्रतिशत वयस्क किशोर किसी ना किसी तरह के धूम्रपान की लत की गिरफ्त में हैं।
धूम्रपान करने वाले की आयु में प्रतिदिन छह मिनट कम होती जाती है। यानी हर साल अप्रत्यक्ष धूम्रपान से पूरे विश्व में करीब 6 लाख मौतें होती हैं।
-सिगरेट के धुएं में पाए जाने वाले टॉक्सिन एथेरोस्क्लीरोसिस का खतरा बढ़ाते हैं, जो हार्ट अटैक का मुख्य कारण बनते हैं।
-विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया भर में हर दिन लगभग 80,000 बच्चे धूम्रपान की शुरुआत करते हैं।

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