Tuesday 19 July 2011

फिर एक रेल दुर्घटना

अभी उत्तर प्रदेश के कांशीरामनगर में हुए रेल-बस हादसे की टीस कम भी न हुई थी कि व्यस्ततम दिल्ली-हावड़ा रूट पर फतेहपुर के पास मलवां में हुई एक और भीषण दुर्घटना ने रेल सुरक्षा से जुड़े नए सवाल खड़े कर दिए हैं। कांशीरामनगर का हादसा जहां मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग के कारण हुआ, वहीं मलवां में हुई दुर्घटना को प्रारंभिक तौर पर तकनीकी चूक का नतीजा बताया जा रहा है। ड्राइवर का कहना है कि सिगनल बदलने वाले कर्मचारियों की गलती से यह दुर्घटना हुई।

कालका मेल के ड्राइवर को जब मलवां के पास अचानक गाड़ी में ब्रेक लगाना पड़ा, तब उसकी गति सौ किलोमीटर प्रति घंटा से भी अधिक थी। नतीजतन पहले कई डिब्बे इंजन से अलग होकर पटरी से नीचे उतर गए, फिर उनमें से कई एक दूसरे पर चढ़ गए। कई डिब्बे तो पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। दुर्घटना की भीषणता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दोपहर करीब साढ़े बारह बजे हादसा होने और मौसम की अनुकूलता के बावजूद काफी देर तक कुछ डिब्बों से मुसाफिरों को नहीं निकाला जा सका था। राहत कार्य के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन, सेना और उत्तर प्रदेश सरकार से मदद मांगना भी इस हादसे की भयावहता को ही दर्शाता है। हादसे में सैकड़ों लोग घायल हैं, जबकि मृतकों की संख्या भी शुरुआती अनुमान से कहीं अधिक है।

यह देखना जरूर कुछ आश्वस्तकारी है कि हादसे के तत्काल बाद रेल मंत्रालय राहत कार्य में जुट गया, लेकिन तकनीकी विकास के इस दौर में भी दिल्ली-हावड़ा जैसे अति महत्वपूर्ण रेल रूट पर तकनीकी गलतियों की आशंकाएं बरकरार हैं, तो इससे पता चलता है कि रेलवे अब भी यात्री सुरक्षा के प्रति उतना चिंतित नहीं है, जितना कि उसे होना चाहिए। अब इस तकनीकी चूक का ही मामला लें। व्यवहार में तो सिगनल सिस्टम स्वचालित है। लेकिन मुश्किल यह है कि इसके स्वचालित होने का भी तब तक कोई अर्थ नहीं है, जब तक उससे संबंधित कर्मचारी सतर्क न हों, क्योंकि आखिरकार बटन दबाने का काम तो किसी न किसी को करना ही होता है।

दुर्घटनाएं अमूमन एक क्षण की गफलत का ही नतीजा होती हैं और मलवां का मामला भी इससे अलग नहीं है। आखिर सरकार यात्री सुरक्षा के प्रति कब गंभीर होगी? वैसे भी ईंधन के दाम बढ़ने और कर्मचारियों के बढ़े वेतन के कारण रेलवे पर वित्तीय बोझ काफी बढ़ा है। ऐसे में रेल भाड़ा न बढ़ाने जैसे लोकप्रियतावादी नुसखों और हर रेल बजट में सौ-पचास नई ट्रेन शुरू करने की कवायदों को कुछ समय के लिए मुलतवी कर अगर यात्री सुरक्षा की दिशा में सोचा जाए, तो बेहतर होगा।

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